उत्तराखंडदेहरादून

महान पर्यावरणविद् व चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी बिमला बहुगुणा का निधन।

देहरादून (उत्तराखंड): चिपको आंदोललन एवं गांधीवादी विचारों के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी बिमला बहुगुणा का निधन हो गया है। 93 साल की उम्र में बिमला बहुगुणा ने अंतिम सांस ली। स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा के बेटे राजीव नयन बहुगुणा ने सोशल मीडिया पर मां के निधन की जानकारी साझा की है।

सामाजिक कार्यों में रहती थी सक्रिय: स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा के बेटे राजीव नयन बहुगुणा ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि महिला शिक्षा एवं ग्रामीण भारत में सर्वोदय के विचार को दृष्टिगत रख दिसंबर 1946 में कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की गई थी। इस आश्रम की प्रारम्भ से ही देखरेख महात्मा गांधी की नजदीकी शिष्या सरला बेन (बहन) करती थी। आश्रम के प्रति अल्मोड़ा जिले का रवैय्या उत्साहजनक नहीं था, लेकिन पौड़ी और टिहरी से शुरू से ही कुछ छात्राओं ने आकर आश्रम को मजबूती प्रदान की। टिहरी से एक साथ 5 छात्राओं ने आश्रम में दाखिला लिया, उनमें ही एक बिमला बहुगुणा थी.”बिमला बहुगुणा” अपनी साफ समझ, कड़ी मेहनत और समर्पण की भावना ने बिमला बहुगुणा को छोटे समय में ही आश्रम की सबसे प्रिय छात्रा बना दिया।

बिमला बहुगुणा ने नौजवानों का किया मार्गदर्शन: आश्रम से बाहर की सामाजिक गतिविधियों में भी बिमला बहुगुणा काफी अहम भूमिका निभाती थी. जब विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में आश्रम के प्रतिनिधित्व की बात सामने आई तो, इसके लिए भी बिमला बहुगुणा का ही नाम चुना गया था। बिमला ने अपने समर्पण और नेतृत्व क्षमता से भूदान आंदोलन में बहुत बेहतर काम किए। विनोबा भावे के मंत्री दामोदर ने बिमला को “वन- देवी” की उपाधि देते हुए कहा कि ऐसी लड़की उन्होंने पहले कभी नहीं देखी, जो बहुत आसानी और मजबूती से नौजवानों का सही मार्गदर्शन करती हैं।

वहीं विमला बहगुणा के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुःख प्रकट करते हुए लिखा कि सामाजिक उत्थान के प्रति आजीवन समर्पित, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाली, स्व. सुंदर लाल बहुगुणा जी की पत्नी बिमला बहुगुणा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।

ईश्वर पुण्यात्मा को श्री चरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

ॐ शांति !

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